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Description
समाज को बांटने में निष्णात, निकृष्टतम चारित्रिक विशेषताओं से युक्त, भ्रष्ट आचरण से कलंकित, अति चालाक व धूर्त व्यक्ति भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में काफी प्रभावी है। शांत जनआंदोलन का प्रयोग यदि सफल रहा तो इन लोगों का सार्वजनिक जीवन से निष्कासन हो जायेगा। संसद और विधानसभाओं में इनका प्रवेश निषेध हो जायेगा। सार्वजनिक जीवन में वे ही लोग रह पायेंगे, जिनका चरित्र श्रेष्ठ होगा, मनोवृति तपस्वी जैसी होगी, आचरण शुद्ध व मन में सेवाभाव होगा। सेवा के बदले वे कुछ पाना नहीं चाहेंगे। भौतिक सुविधाओं का परित्याग कर वे सन्यासी जैसा जीवनयापन करेंगे। शासन का अधिकार मिलने पर वे उन्मादित नहीं होंगे और वंचित रह जाने पर वे विचलित नहीं होंगे। यह तभी सम्भव होगा जब जन प्रतिनिधि बनने के मापदंड़ जनता निर्धारित करेगी, राजजीतिक दल नहीं। जनप्रतिनिधि वो ही चुना जायेगा जो जनता से जुड़ा होगा, जनता के बीच रहेगा और अपनी सेवा और निष्ठाभाव की परीक्षा देगा। अर्थात चुनाव में खड़े होने की पात्रता पाने के पहले उसे वर्षों तक जनता बीच रह कर उनके सुखदुख में भागीदारी निभानी होगी। उस क्षेत्र विशेष की सारी समस्याओं की उसे जानकारी होगी और इन्हें कैसे सुलझाया जा सकता है, इस बारें में उसका अपना मौलिक चिंतन होगा। व्यवस्था परिवर्तन तभी होगा जब सार्वजनिक जीवन में उधम मचा रहे लोगों को नेपेथ्य में धकेल, उन्हें स्थापित किया जायेगा, जो जनता द्वारा निर्धारित मापदंड़ पर खरे उतरेंगे, राजनीतिक दलों को संचालित करने वाले मठाधीशों के कृपा पात्र बन कर नहीं। परन्तु यह सब कुछ इतना आसान नहीं है। वर्षों तक व्यवस्था से चिपके रहने के कारण इनकी जड़े बहुत गहरी है। अथाह काले धन के प्रभाव से इन्होंने अपने ईर्द-गिर्द ऐसा तिलस्म बुन रखा है, जिसे तोड़ना बहुत कठिन है। इनकी शक्ति को कम करने के लिए ही शांत जनआंदोलन की कल्पना की गई है।
शांत जनआंदोलन को इस किताब में ठंडी क्रांति नाम से परिभाषित किया गया है। याने एक ऐसी क्रांति, जिसमें आग नहीं लगेगी, लपटे नहीं उठेगी, आक्रोश व असंतोष का प्रदर्शन करने के लिए हिंसा नहीं होगी। धरना- प्रदर्शन , घेराव नहीं होगा। रेले नहीं रोकी जायेगी। रेल की पटरियां नहीं उखाड़ी जायेगी। अर्थात् इन सारे उपक्रमों से जनता द्वारा चुनी गई संवैधानिक सरकार को ललकारा नहीं जायेगा। एक विशिष्ट विधि से जनता को जागरुक कर उन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था का सजग प्रहरी बनाया जायेगा। चालाकी से जनता के मन में बिठाई गई भ्रान्तियों का परस्पर संवाद से निवारण किया जायेगा। नागरिकों को आपसी विश्वास से बांधा जायेगा। भारत के सारे शहरों और गांवों में छोटे-छोटे जनसंगठन बनेंगे। ये संगठन परस्पर सहयोग, समन्वय और संवाद से पूरे देश में व्यवस्था परिवर्तन के लिए एक अनूठी जनक्रांति का संचालन करेंगे। जनजागृति अंतत: जनक्रांति में तब्दील हो जायेगी। इस मिशन में जो व्यक्ति अग्रणी भूमिका निभायेंगे, वे वास्तविक जननेता होंगे। इस क्रांति में विध्वंस नहीं, सृजन का आभास होगा। ठंडी क्रांति बहुत धीमी होगी, क्योंकि बाहर कुछ दिखाई नहीं देगा, क्योकि राख के नीचे दबे अंगारों में तप कर तपस्वी व्यक्तित्व बाहर आयेंगे, जो भारतीय राजनीति का शुद्धिकरण कर संसद व विधानसभाओं के स्वरुप को बदल देंगे।
Additional information
Weight | N/A |
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Dimensions | N/A |
Book Type | Paper Back, E-Book |
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