Your cart is currently empty!
Description
Ganesh Purohit द्वारा लिखा गया मातृत्व उपन्यास नारी उत्पीड़न और उसके उत्कर्ष की कहानी है। स्त्री योनी में जन्म लेने के कारण ही उसे अकारण अनचाहे कष्ट भोगने पड़ते है, जिसे वह टूट जाती है, उसका रोम-रोम कराह उठता है। जीवन को नष्ट करने की इच्छा जागृत होती है। क्योंकि वह अनाथ अबला, दुष्कर्म पी पीड़िता, उस पाप को ले कर नहीं जी सकती, जो उसके गर्भ में पलकर, उस अपराध के लिए अपराधी ठहराता है, जो उसने किया ही नहीं। उस मानसिक प्रताड़ना से टूट जाती है, पर अपनी क्षमताओं को पहचान कर जीवन में वह मुकाम हांसिल करती है, जहां बिरले ही पहुंच पाते हैं। वह उस पाप को जन्म देने की यंत्रणा भी भोगती है, किन्तु संसार में आये उस जीवन को तिरस्कृत नहीं करती। उसे अपना नाम दे, उसका जीवन संवारती है। उसका मेधावी पुत्र समाज को सुधारने के लिए जननेता बन, अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर करोड़ो दिलो में बस जाता है। उसका पाप, पुण्य बनकर संसार से विदा लेता है।
Additional information
Weight | .5 kg |
---|---|
Dimensions | 11 × 6 × 1 cm |
book | Paperback, E-book |
Related products
-
Sale!
Mangla By Ramanuj anuj
0 out of 5₹ 215.00Original price was: ₹ 215.00.₹ 175.00Current price is: ₹ 175.00. Select options -
Jakhmi Baisakhi
0 out of 5₹ 150.00 Add to cart -
Sale!
AMOR HIMALAYAS By Sakshi Gulia
0 out of 5₹ 160.00Original price was: ₹ 160.00.₹ 150.00Current price is: ₹ 150.00. Add to cart -
Aapaat Kaal Me Grehan
0 out of 5₹ 200.00 Add to cart
Reviews
There are no reviews yet.